मनोरंजन चैनलों पर चलने वाले
धारावाहिकों में आजकल 'जनेरेशन लीप' या दूसरे शब्दों में कहें तो कहानी में
कई 'बरसों की छलांग' एक आम बात हो गई है|कल तक जो बाल कलाकार कहानी के केन्द्र में होते हैं वे अचानक एक दिन जवान हो जाते हैं. उनके रोमांस शुरु हो जाते हैं|दूसरी तरफ़ उनके माँ-बाप भले ही उनके बाल कभी सफ़ेद न हों, बूढ़े हो जाते
हैं. दादी सा परदादी सा हो जाती हैं. यह होती है 'लीप' या 'छलांग'.
लेकिन इस छलांग का कारण क्या होता है? कहानी की कमी? या टीआरपी में गिरावट?या दर्शक एक ही चेहरे को देख-देख कर ऊब जाते हैं इसलिए नए चेहरे दिखाने पड़ते हैं?बालिका वधु' के पटकथा लेखक राजेश दूबे मानते हैं, "लीप के रचनात्मक कारण भी होते हैं और कई बार प्रोडक्शन कारण भी होते हैं. एक निश्चित समय अवधि के बाद जब कोई धारावाहिक और उसके पात्र दर्शकों में लोकप्रिय हो जाते हैं लेकिन उसकी कहानी ख़त्म हो जाती है और रेटिंग भी रुक जाती है तब कलाकारों के नये सेटअप के साथ नई कहानी सोची जाती है."
नए ऑफर
राजेश बताते हैं, "कई बार कलाकारों को उनकी लोकप्रियता के बाद नए-नए ऑफ़र आने लगते हैं और वे धारावाहिक छोड़ कर जाना चाहते हैं और कई बार कलाकार बूढ़े हो चुके किरदार को करने से मना कर देते हैं तब नए चेहरों के साथ नई कहानी सोचनी पड़ती है. कई बार दर्शकों की दिलचस्पी ख़त्म हो जाती है और कई बार नई कहानी से सीरियल लोकप्रिय हो जाते हैं."
लेकिन ऐसा भी नहीं है इस लीप या छलांग से हर धारावाहिक कामयाबी के नये कीर्तिमान स्थापित कर ले. "क्या हुआ तेरा वादा" ऐसा ही एक धारावाहिक था जिसने छलांग लगाई और सभी बच्चे बड़े हो गए लेकिन दर्शकों के मोर्चे पर यह धारावाहिक गिर पड़ा |
लेकिन कई बार इस 'छलांग' से फ़ायदा भी हुआ है जैसे 'बालिका वधु' जिसने जिसने 10-12 साल की लीप ली और हाल ही में 1,000 एपीसोड भी पूरे कर लिए|
इसमें आनन्दी और जगिया के बड़े होने पर भी इसके दर्शक कम नहीं हुए.
एक अन्य धारावाहिक ‘उतरन’ (10 साल की लीप) की तपस्या और इच्छा जब बड़ी हुईं तब उनकी टीआरपी और बढ़ गई क्योंकि इस धारावाहिक का असली ड्रामा बच्चों के बड़े होने पर ही शुरु होता है.
इस धारावाहिक ने एक और छलांग लगाई - 20 साल की - और अब तपस्या और इच्छा 2--20 साल के बच्चों की माँ बन गईं हैं. फिर भी दर्शकों की दिलचस्पी इस धारावाहिक के साथ आज भी बनी हुई है|
टीआरपी की जंग
इसे देखकर ही चैनलों को विज्ञापन भी मिलते हैं. इसलिए अगर टीआरपी के मोर्चे पर कोई धारावाहिक जैसे ही मुँह के बल गिरने को होता है तो पहले ही उसे लीप अर्थात छलांग लगवा दिया जाता है.
इस मामले में 'पवित्र रिश्ता' को यह सौभाग्य हासिल हुआ कि जब वो 18 साल आगे बढ़ा तो इसकी टीआरपी और बेहतर हो गई.
ऐसा ही एक और धारावाहिक है, "न बोले तुम न मैंने कुछ कहा 2" जिसने 'बिग बॉस' के पहले अपना पहला सीज़न ख़त्म किया और 12 साल की छलांग के साथ दोबारा अच्छी टीआरपी ले कर वापस आया
बड़े अच्छे लगते हैं
लेकिन इन दिनों जिस धारावाहिक के लीप की सबसे ज़्यादा चर्चा है वह है "बड़े अच्छे लगते हैं".इस धारावाहिक में पहले भी छह साल के लीप के साथ नन्ही पीहू की एंट्री हुई थी जिसने राम और प्रिया से अलग अपनी एक पहचान बना ली है.
कई टीवी धारावाहिकों में क्रियेटिव हेड रह चुकी ऋचा सिंह गौतम बताती हैं कि कई बार कॉंसेप्ट में ही जनेरेशन लीप की गुंजाईश होती है.
हालांकि कई बार ऐसा भी होता है कि धारावाहिकों के कलाकार और उनकी भूमिका दर्शकों को काफ़ी पसंद आती है लेकिन एक वक़्त के बाद उसकी कहानी ख़त्म हो जाती है.
ऐसे में नई कहानी गढ़ी जाती है जिसका फ़ायदा यह होता है कि धारावाहिक छ महीने या साल भर और चल जाता है।
'बुनियाद' जैसे पुराने धारावाहिक में एक सहज विकास क्रम में कोई जवान व्यक्ति बूढ़ा होता था लेकिन आजकल छलांग लगाने का फैशन हो गया है.
बहरहाल इसकी कोई भी वजह हो, लेकिन टीवी चैनल अपनी टीआरपी देखता है और दर्शक कहानी में अपनी दिलचस्पी, लीप हो चाहे न हो |
फ़रीद ख़ाँ